रविवार, 13 सितंबर 2009

नन्द-नंदनम

करो मन नन्द नंदन को ध्यान।
यह अवसर तोहे फिर ना मिलेगो, मेरो कहो अब मान॥
घूँगर वाली अलकें उसपर, कुंडल झलकत कान।
नारायण अलसाने नयना, झूमत रूप निधान॥






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