राधाजी श्रीकृष्ण की अन्तरंग शक्ति हैं। श्रीकृष्ण फूल हैं तो राधाजी सुगंध हैं, श्रीकृष्ण मधु हैं तो राधाजी मिठास, श्रीकृष्ण मुख हैं तो राधाजी कांतिऔर सौन्दर्य। राधाजी श्रीकृष्ण का अभिन्न स्वरुप हैं। वह श्रीकृष्ण की आहलादिनी शक्ति हैं। श्रीकृष्ण का आनंदस्वरूप ही राधाजी के रूप में व्यक्त है। राधा ही कृष्ण हैं और कृष्ण ही राधा हैं। भक्ति का आनंद प्राप्त करने के लिए श्रीकृष्ण राधा बने हैं और रूप सौन्दर्य का आनंद प्राप्त करने के लिए राधा कृष्ण बनी हैं।
राधाजी सृष्टीमयी, विश्वस्वरूपा, रासेश्वरी, परमेश्वरी और वृन्दावनेश्वरी हैं।
वाह वाह्………………………बहुत सुन्दर कहा……………राधा और कृष्ण दो तो हैं ही नही ये तो सिर्फ़ समझ और नज़रों का धोखा है………………एक ही तत्व हैं।
जवाब देंहटाएंMano to Ek hain na mano to bhi donon Ek hi hain.... Jai Jai Sri Radhe
हटाएंआईये जानें ..... मैं कौन हूं !
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
may be right
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