शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

मैं नहि माखन खायौ


प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा,
अपना मान रहे ना रहे, पर भक्त का मान ना टलते देखा,
जिसकी केवल कृपा दृष्टि पर, सकल विश्व को पलते देखा,
उनको गोकुल के गौरस पर, सौ सौ बार मचलते देखा।