नानकदुखिया
ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानंद विग्रह: । अनादिरादिर्गोविंद: सर्वकारणकारणम् ।।
शुक्रवार, 4 सितंबर 2009
मैं नहि माखन खायौ
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा,
अपना मान रहे ना रहे, पर भक्त का मान ना टलते देखा,
जिसकी केवल कृपा दृष्टि पर, सकल विश्व को पलते देखा,
उनको गोकुल के गौरस पर, सौ सौ बार मचलते देखा।
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