नानकदुखिया
ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानंद विग्रह: । अनादिरादिर्गोविंद: सर्वकारणकारणम् ।।
सोमवार, 7 सितंबर 2009
गोविन्द दामोदर माधवेति
ना मैं वैकुण्ठ में रहता हूँ और ना मैं योगियों के हृदय में बसता हूँ। हे नारद! जहाँ मेरे भक्त मेरा कीर्तन करते हैं, मैं वहीं रहता हूँ।
कौन सी ने कर दियो री टोना............
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