सोमवार, 3 अगस्त 2009

पवनसुत हनुमान

भगवान की कृपा से मुझे हनुमानजी के अनेक स्वरूपों के दर्शन करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इन विविध रूपों में कहीं तो पवनसुत स्वप्रकटित शिलाकार में हैं तो कहीं संगमरमर में उकरी छवि के रूप में, कहीं वे मोटे हनुमान जी बनकर प्रतिष्ठित हैं तो कहीं एक ही विराट शिलाखंड के तौर पर, जैसे कि दिल्ली के राव तुलाराम मार्ग पर। उड़ीसा में बजरंगी के अति सुड्डोल और सुघर रूप के दर्शन होते हैं। लेकिन मेरे मन में उनकी एक छवि बहुत गहरी अंकित है, और वह है उनका श्याम रूप। कुछ वर्ष पहले, जनवरी की ठिठुरती शाम में, वृन्दावन के श्री रंगजी के मन्दिर के पीछे की और बने द्वार पर प्रहरी की ड्यूटी निभा रहे हनुमानजी के दर्शन किए तो बस मैं उन्हें देखता ही रह गया। ठण्ड की वजह से उन्होंने रजाई ओढ़ रखी थी और शायद कृष्ण प्रेम में उनकी देह भी श्याम रंग में रंग गई थी। उनका रूप अनुपम था, मुख मंडल पर दीनता और प्रेम विराजमान था। मेरे मन के मन्दिर में उनका यह रूप अभी भी वैसा ही बसा हुआ है।
मंगलता, निर्भयता, भक्ति और प्रेम की धारा बहाने वाले अन्जनिनंदन हनुमानजी की स्तुति एवं स्मृति रूप में, आइये सुनें राजन मिश्रा-साजन मिश्रा के स्वर में हनुमान चालीसा, जो सांवले हनुमानजी की छवि के समान निराली है।
इसके बाद हरिहरन के स्वर में पारम्परिक धुन में हनुमान चालीसा है।
00. HANUMAAN CHALI...

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