मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

श्री गिरिराज गोवर्धन



मथुरा नगर के पश्चिम में लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर श्री गिरिराज गोवर्धन विराजमान हैं। गिरिराज 4 या 5 मील तक फैले हुए हैं। अपने प्राकट्य के समय यह 80 किलोमीटर लम्बे, 20 किलोमीटर ऊँचे और 50 किलोमीटर चौड़े थे। ऐसा कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत की छाया कभी यमुना जी पर पड़ती थी। श्री गिरिराज गोवर्धन भगवान कृष्ण के काल का एक मात्र जीवंत चिन्ह हैं।

गर्ग संहिता में गोवर्धन पर्वत को वृन्दावन की गोद में निवास करने वाला गोलोक का मुकुटमणि कहा गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्री गिरिराजजी सतयुग में प्रकट हुए थे। एक बार पुलस्त्य ऋषि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल के पास आए। उनके पुत्र गोवर्धन के सौन्दर्य को देखकर उनके मन में विचार आया कि क्यों ना उन्हें काशी ले जाया जाए। काशी में गंगा तो है लेकिन कोई पर्वत नहीं है। ऐसे रमणीय पर्वत पर तपस्या करना मोक्षकारी और अधिक आनंदकारी रहेगा। पुलस्त्य ऋषि ने गोवर्धन के पिता द्रोणाचल पर्वत से अपने पुत्र गोवर्धन को देने के लिए आग्रह किया। द्रोणाचल अपने पुत्र से बहुत प्रेम करते थे परंतु ऋषिवर को क्रोधित भी नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने उनके समक्ष एक शर्त रखी कि अगर अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने गिरिराज को कहीं रख दिया तो दोबारा नहीं उठा पाएँगे। पुलस्त्य ऋषि ने यह शर्त स्वीकार कर ली। अपनी यात्रा के दौरान जब वे ब्रज क्षेत्र से गुज़रे तो नित्य कर्म के उपरांत गोवर्धन जी को उठाने का उनका प्रयास विफल हो गया। क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दिया कि गोवर्धन पर्वत प्रतिदिन तिल के बराबर पृथ्वी में धंसता जाएगा और कलियुग में पूर्णतः लुप्त हो जाएगा। इसी श्रापवश अब गिरिराज गोवर्धन का आकार अत्यंत छोटा हो चुका है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, हनुमानजी लंका पर आक्रमण के प्रयोजन से सेतु निर्माण के लिए विराट गोवर्धन पर्वत लेकर ब्रज क्षेत्र से गुजर रहे थे तभी उन्हें देव वाणी द्वारा संदेश मिला कि सेतु बंध का कार्य पूर्ण हो गया है। यह सुनकर हनुमानजी गोवर्धन पर्वत को ब्रज में स्थापित कर पुन: दक्षिण की ओर लौट गए।

भगवान कृष्ण के काल में श्रीगिरिराज अत्यन्त हरे-भरे रमणीय पर्वत और प्राकृतिक संपदा से भरपूर थे। ब्रजवासी उनके निकट अपनी गायें चराया करते थे और उनके प्रति गहन श्रद्धा रखते थे। भगवान श्री कृष्ण ने जब ब्रज में इन्द्र की परम्परागत पूजा बन्द कर गोवर्धन की पूजा प्रचलित की तो इन्द्र के प्रकोप से ब्रज में भयंकर वर्षा हुई। सम्पूर्ण ब्रज जल मग्न हो गया। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुलि पर धारण करके समस्त ब्रजवासियों की रक्षा की। जब इन्द्र को पता लगा कि श्रीकृष्ण कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु के साक्षात अंश और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं तो उन्होंने भगवान से क्षमा माँगी। इस अलौकिक घटना का उल्लेख पुराणादि धार्मिक ग्रन्थों और कलाकृतियों में होता रहा है। संतों ने भगवान की इस लीला का अत्यंत भावपूर्ण और भक्तिमय ढंग से वर्णन किया है। इस पौराणिक घटना के बाद से ही दीपावली के अगले दिन श्रीगोवर्धन पूजा की जाने लगी। इस दिन अन्नकूट तैयार किया जाता है।

श्रीगोवर्धन परिक्रमा का अत्यंत आध्यात्मिक महत्व है। पूरी परिक्रमा 7 कोस अर्थात लगभग 21 किलोमीटर है। परिक्रमा के लिए समूचे विश्व से भक्त आते हैं। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक लाखों भक्त सप्तकोसी परिक्रमा करते हैं। गुरु पूर्णिमा पर परिक्रमा लगाने का विशेष महत्व है। वैसे मन में भक्ति हो तो परिक्रमा कभी भी लगाई जा सकती है। अपने सामर्थ्य के अनुसार, भक्त तीन प्रकार से परिक्रमा लगाते हैं। एक, पैदल, दूसरी, दूधधारा के साथ और तीसरी, दण्डौती। सामर्थ्य के अनुसार ही भक्त छोटी और बड़ी दोनों या फिर एक परिक्रमा लगाते हैं। श्रीगोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर अनेक पवित्र स्थल हैं जिनमें आन्यौर, जतिपुरा, मुखारविंद मंदिर, राधाकुण्ड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुण्ड, पूंछरी का लौठा, दानघाटी इत्यादि प्रमुख हैं। इन सभी स्थलों से भगवान की मनोहारी कथाएँ जुड़ी हुई हैं।

कहते हैं कि गोवर्धन महाराज की सिफारिश हो तो ठाकुरजी भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।

10 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो गोवर्धन महाराज की…………।सुन्दर आलेख्।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

    जवाब देंहटाएं
  3. अभी होकर आये हैं कुछ दिन पहले ही ...
    गोवर्धन महाराज पूरी करें सबकी शुभ मनोकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ज्ञान और भक्तिपरक आलेख. मथुरा में जन्म लेने के बाद भी, बहुत सी जानकारियाँ हमारे लिए भी नयी थीं. गोवर्धन महाराज नववर्ष में सब की मनोकामनाएं पूर्ण करें !

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  6. I felt like i am doing the darshan and parikrama of Shri Govardhan maharaj while reading the post.. Many Thanks!! Jai Giriraj ji!!
    Radhey Radhey!!

    जवाब देंहटाएं
  7. Thanks For sharing is blog, This very amazing post. AIMS Dentistry at Sheppard. Equipped with a team of experienced dentists, Best Dentist in North York is one of the leading North York dentist. Dr. Mandeep Sandhu's Multi-speciality Dental Clinic. Located in North York, our doctors have many years of experience.

    जवाब देंहटाएं