नानकदुखिया
ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानंद विग्रह: । अनादिरादिर्गोविंद: सर्वकारणकारणम् ।।
रविवार, 13 सितंबर 2009
नन्द-नंदनम
करो मन नन्द नंदन को ध्यान।
यह अवसर तोहे फिर ना मिलेगो, मेरो कहो अब मान॥
घूँगर वाली अलकें उसपर, कुंडल झलकत कान।
नारायण अलसाने नयना, झूमत रूप निधान॥
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